V.S Awasthi

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हिन्दी दिवस



झूठे लोग
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झूठे लोगों की फसल बड़ रही जब से मोबाइल आया है।
खाद का काम करे मोबाइल उत्पादन खूब बढ़ाया है।।
घर में बैठे आराम कर रहे दिल्ली में हूं ये कहते हैं।
चौबीस घंटे में बाईस घंटे झूठ बोलते रहते हैं।।
क्या शिक्षक, क्या ‌ऋषि-मुनी सब झूठ बोलना सीख लिया।
नेताओं का तो कहना क्या झूठ के दम पर राज किया।।
अधिवक्ता तो धरती पर झूठ की रोटी खाते हैं।
ज्यादा से ज्यादा झूठ बोल फिर न्यायधीश बन जाते हैं।।
इसीलिए इस देश में यारों न्याय सदा रोता रहता।
समय पर न्याय नहीं होता न्यायालय भी सोता रहता।।
झूठे लोगों को खोजोगे अस्सी प्रतिशत मिल जायेंगे।
सत्य के सिर पर चढ़ कर के वो अपनी बात मनायेंगे।।
इसीलिए कविवर रहीम ने अपनी बात थी कह डाली।
झूठ से राम नहीं मिलते हैं सत्य से हैं और दुनिया खाली।।
झूठ बोलने वालों की कितनी संख्या बतलाऊं मैं।
गिनने कोई मशीन नहीं तो फिर कैसे गिन पाऊं मैं।।
झूठ बोलने से भी ये पथिक ना अब तक बच पाया।
बचने की कोशिश बहुत करी पर मोबाइल छोड़ नहीं पाया।।


विद्या शंकर अवस्थी पथिक, कानपुर

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7 Comments

फसल बढ़,,,, रही है होगा बड़ के स्थान

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बहुत ही सुंदर सृजन

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Renu

08-Sep-2022 08:42 PM

Very nice

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